भारत भूमि के संस्कार ने हमेशा बड़े बुजुर्गों को सम्मान दिया हैं. हमारी संस्कृति यह सिखाती हैं कि बड़ो की इज्जत करों उनका कहना मानों. वृद्धावस्था में माता पिता की सेवा करों तथा उनकी हर ख्वाइश को पूरा करना एक संतान का दायित्व हैं. किसी अच्छे कर्म की शुरुआत से पूर्व बड़े बूढों का आशीर्वाद लेना हमारी परम्परा रही हैं.तेजी से बदलते वक्त के साथ भारतीय समाज में भी कुछ नई प्रथाएं एवं विकृतियाँ जुड़ी हैं. इस सामाजिक आर्थिक बदलाव के दौर में अब स्त्री और पुरुष दोनों घर से निकलकर काम पर जाने लगे हैं. 10 घंटे तक काम के काम के बाद वृद्ध माता पिता की देखभाल के लिए उनके पास वक्त नहीं रहता हैं, तो वे अपने माता पिता को वृद्धाश्रम भेज देते हैं l वृद्धाश्रम वह स्थान होता हैं जहाँ उम्रः दराज लोगों को लोग छोड़ आते हैं. किसी गैर सरकारी संगठन अथवा संस्था उसको चलाती हैं. तथा लोग एक निश्चित रकम चुकाकर अपने वृद्ध माता पिता को छोड़ आते हैं l

साई सोशल रिस्पांसिबिलिटी एंड रिसर्च सेंटर सभी त्योहरों को धूम धाम से गाँव वालो के साथ मनाती है l 13 जनवरी 2020 लोहड़ी के अवसर पर इस पर कुछ नया करने का सोचा साई सोशल रिस्पांसिबिलिटी एंड रिसर्च सेंटर की प्रबंधक डॉ सुशी सिंह ने लोहड़ी का त्यौहार वृद्ध आश्रम में बुजुर्गो के साथ मनाने का फैसला किया और गाँव के बच्चे भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बने l समय समय पर हम वृद्ध आश्रम गाँव के बच्चों को लेकर आते रहते हैं ताकि उनके शारीरिक तथा मानसिक विकास का ध्यान रख सके और उन्हे लगे की उनका भी कोई है और बच्चों को पता लगे की उन्हे अपने माता पिता की सेवा करनी चाहिए और उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए l वृद्ध आश्रम में जा कर सब डॉ सुशी सिंह से मिलकर कर प्रसन्न हो गए ,इस बार लोहड़ी के अवसर पर उनकी दोनों बेटियाँ भी उनके साथ आई थी l सभी ने मिलकर बुजुर्गो के साथ अन्ताक्षरी खेली l और फिर सबको हलवा , समोसे , कचोरी , मिठाई आदि खिलाया l डॉ सुशी सिंह ने सभी को तोफे दिए l फिर सबने मिलकर लोहड़ी का त्यौहार मनाया लोहड़ी जलाकर उसमे मोंगफली , रेवड़ी , फोलेय डाले सभी ने नृत्य किया l गाँव से आये हुए बच्चों ने अपना परिचय दिया l बच्चों को वहां आकार बहुत अच्छा लगा और बच्चे दोबारा भी वह जाना चाहते हैं l ऐसे ही हंसी ख़ुशी हमने सुबसे आशीर्वाद लेते हुए वह से विदा ली l